There is always a voice in my head
there is always a voice in my head
that keeps on speaking
Must read
What will happen if you are not there?
what will happen if i die?
Do you think that no one can do what you are doing?
Do you think that if i am not there everything will get stuck?
Do you think that you are doing seva?
Do you think that you are guru or husband or wife...or an engineer, doctor or whatever?
if you die, few will cry, few will get stuck for some time but then later on they will start doing what they need...
if you stop doing what you are supposed to do, then nature will definately find alternative for you
Basically we all are searching for something or other?
What is it that we are searching
what are we searching?
why are we searching?
First question that one must ask himself is who am i?
if you dont get any answer that means that you are no one
99% you will not get any answer
the game is over if you get the answer.
That is the answer to all your life problems.
am i the mind or the body?
am i man or women?
am i god or human?
what is my true nature?
am i a thought process?
am i a program
actually we are still aliens to ourselves
am not in my self
till the time we not in ourselves, we cant find the answer to the main question that is who am i
it is not that easy to get that answer
you have to keep trying
No one is here for you
everyone is on their journey
even you near and dear ones are on their journey...
Basically you are alone but you think that someone cares for you, someone is always there for you, someone loves you, helps you...etc.
They are here to live their lives
You think that he has done something wrong but he may be doing right
You are wrong and i am right is the nature of the ego
Ego tries to keep proving something or other
Either it tries to prove or it tries to explain or it tries to play some game
It also wants to survive just like you because it has now become an integral part of our life
ego lives in duality
ego wants supremacy
ego wants name
sometimes ego says i dont want name but no name is also a name
most of the time we are unaware of the thought processes
we dont understand why am i here, what am i supposed to do or speak
we dont even understand what to think
we do not know what is right and what is wrong
To be continued....
above translated in hindi below
मेरे दिमाग में हमेशा एक आवाज़ रहती है
जो बोलती रहती है
जरूर पढ़ें
अगर तुम नहीं रहे तो क्या होगा?
अगर मैं मर जाऊँ तो क्या होगा?
क्या तुम सोचते हो कि तुम जो कर रहे हो वो कोई नहीं कर सकता?
क्या तुम सोचते हो कि अगर मैं नहीं रहूँगा तो सब कुछ अटक जाएगा?
क्या तुम सोचते हो कि तुम सेवा कर रहे हो?
क्या तुम सोचते हो कि तुम गुरु हो या पति या पत्नी...या इंजीनियर, डॉक्टर या कुछ और?
अगर तुम मर जाओगे तो कुछ लोग रोएँगे, कुछ लोग कुछ समय के लिए अटक जाएँगे लेकिन फिर बाद में वो वही करने लगेंगे जो उन्हें चाहिए...
अगर तुम वो करना बंद कर दोगे जो तुम्हें करना चाहिए, तो प्रकृति तुम्हारे लिए विकल्प ज़रूर ढूँढ़ लेगी
असल में हम सभी कुछ न कुछ खोज रहे हैं?
हम क्या खोज रहे हैं
हम क्या खोज रहे हैं?
हम क्यों खोज रहे हैं?
पहला सवाल जो खुद से पूछना चाहिए वो है मैं कौन हूँ?
अगर तुम्हें कोई जवाब नहीं मिलता तो इसका मतलब है कि तुम कोई नहीं हो
99% तुम्हें कोई जवाब नहीं मिलेगा
अगर तुम्हें जवाब मिल गया तो खेल खत्म हो गया.
तुम्हारी सारी ज़िंदगी की समस्याओं का यही जवाब है.
क्या मैं मन हूँ या शरीर?
मैं पुरुष हूँ या महिला?
मैं भगवान हूँ या इंसान?
मेरा असली स्वभाव क्या है?
क्या मैं एक विचार प्रक्रिया हूँ?
क्या मैं एक कार्यक्रम हूँ
वास्तव में हम अभी भी खुद से अलग हैं
मैं अपने आप में नहीं हूँ
जब तक हम खुद में नहीं हैं, तब तक हम मुख्य प्रश्न का उत्तर नहीं पा सकते हैं कि मैं कौन हूँ
उस उत्तर को पाना इतना आसान नहीं है
आपको प्रयास करते रहना होगा
यहाँ कोई भी आपके लिए नहीं है
हर कोई अपनी यात्रा पर है
यहाँ तक कि आपके करीबी और प्रिय लोग भी अपनी यात्रा पर हैं...
मूल रूप से आप अकेले हैं लेकिन आपको लगता है कि कोई आपकी परवाह करता है, कोई हमेशा आपके लिए मौजूद है, कोई आपसे प्यार करता है, आपकी मदद करता है...आदि।
वे यहाँ अपना जीवन जीने के लिए हैं
आप सोचते हैं कि उसने कुछ गलत किया है लेकिन हो सकता है कि वह सही कर रहा हो
आप गलत हैं और मैं सही हूँ, यह अहंकार की प्रकृति है
अहंकार कुछ न कुछ साबित करने की कोशिश करता रहता है
या तो वह साबित करने की कोशिश करता है या समझाने की कोशिश करता है या कोई खेल खेलने की कोशिश करता है
यह भी आपकी तरह ही जीवित रहना चाहता है क्योंकि यह अब हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है
अहंकार द्वंद्व में रहता है
अहंकार वर्चस्व चाहता है
अहंकार नाम चाहता है
कभी-कभी अहंकार कहता है कि मुझे नाम नहीं चाहिए लेकिन नाम न होना भी एक नाम है
अधिकांश समय हम विचार प्रक्रियाओं से अनजान रहते हैं
हम समझ नहीं पाते कि मैं यहाँ क्यों हूँ, मुझे क्या करना या बोलना चाहिए
हम यह भी नहीं समझ पाते कि क्या सोचना चाहिए
हम नहीं जानते कि क्या सही है और क्या गलत
जारी रहेगा....
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